प्राचार्य का संदेश
राजकीय महिला महाविद्यालय, बेहट
(सहारनपुर) के इस पटल पर आप सबका हार्दिक स्वागत है । हम अत्यन्त गौरवान्वित हैं
कि सन् 2003 में विकास की बाट जोहते इस बेहट क्षेत्र की महत्त्वाकांक्षाओं का यह
महाविद्यालय स्थापित हुआ । शिक्षा के क्षेत्र में यह संस्था श्रेष्ठ गुणवत्ता और
नवीनतम मानदण्ड स्थापित कर रही है । यह महाविद्यालय राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं
प्रत्यायन परिषद्(NAAC) द्वारा उच्च मानक ग्रेड मूल्यांकित है ।
मानव-जीवन
अमूल्य है, इसीलिए मानव-जीवन में प्रत्येक क्षण भी अमूल्य है । जो व्यक्ति मानव-जीवन
के इस मर्म को समझ जाता है, उसका जन्म और जीवन धन्य हो जाता है । जीवन को उसकी
सफलता के शिखर पर पहुँचने के अनेकानेक माध्यम हो सकते हैं, लेकिन इन सभी माध्यमों
में ज्ञान और शिक्षा का अपना निजी महत्त्व है । विशेष तथ्य यह है कि ज्ञानार्जन और
शिक्षा-प्राप्ति की प्रक्रिया जीवन-पर्यंत चलती रहती है । इसीलिए कहा जाता है कि
मनुष्य अपनी अंतिम साँसों तक कुछ-न-कुछ अर्जित करता रहता है और एक सफल व्यक्ति
जीवनभर जिज्ञासु और एक विद्यार्थी बना रहता है । कोई भी व्यक्ति समाज में जीवनयापन
करते हुए अनेक अनुभवों से गुजरता है और ज्ञानार्जन के साथ-साथ आजीविका के लिए
अनेकानेक उपक्रम करता है ।
वर्तमान
समय में हम ऐसे संधिकाल पर हैं, जहाँ हमें ज्ञान के विभिन्न दरवाजों पर भी दस्तक
देनी है और अपने जीवनयापन के ऐसे मार्ग खोजने हैं, जिनसे अपने समाज एवं देश का
आदर्श स्वरूप स्थापित हो सकता है । इन सब प्रयासों में शिक्षा के मंदिर बेहतर
विकल्प हो सकते हैं, जो न केवल देश को श्रेष्ठ नागरिक दे सकते हैं, बल्कि
आत्म-निर्भर बनकर मूल्यों पर आधारित समाज का निर्माण कर सकते हैं । विकास और
स्पर्द्धा के दौर में हमारा युवावर्ग अपनी रचनात्मक ऊर्जा का उपयोग करते हुए अपना
सर्वोच्च प्रदान कर सकता है । निष्ठा, अनुशासन, समर्पण और आदर्शों को अपनाते हुए
हमारा युवा समाज ही देश की दशा और दिशा बदलने में अपना श्रेष्ठ योगदान कर सकता है
। हमारा ध्येय “सा
विद्याया विमुक्तये” को प्रतिफलित करना है । आपकी युवावस्था जीवन
का स्वर्णिम काल है ।
महाविद्यालय
का प्राध्यापक वर्ग अत्यंत सुयोग्य, कर्मठ, छात्र हितैषी, अनुभवी और ऊर्जावान है ।
इस कारण हमारी छात्राएँ विश्वविद्यालयों एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होती रही
हैं । मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपने गौरवशाली परिणामों से महाविद्यालय का गौरव
बढ़ाएंगे । मैं संकल्पबद्ध हूँ कि आपके स्वर्णिम लक्ष्य को प्राप्य बनाने में
महाविद्यालय सदैव तत्पर रहेगा ।
हमारी
युवा पीढ़ी का मार्ग प्रशस्त हो और वह अपना मनोरथ पूर्ण करे, ऐसी मंगलकामना है ।
यह सत्य है कि गतिशील समय तेजी से बदल रहा है, किंतु संकल्प और हौसले बाँहें
पसारकर आपका स्वागत करने को भी आतुर हैं ।
हाथ बाँधे क्यों खड़े हो, मुश्किलों के सामने,
मुश्किलें कुछ भी नहीं हैं, हौसलों के सामने ।
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प्रोफेसर (यामिनी
पाण्डेय)
प्राचार्य
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